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सच्चिदानंद है सनातन

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        सच्चिदानंद है सनातन आजादी के इस अमृत काल में जहां भारत एक ओर चाँद की ऊँचाइयों को छू रहा है वहीं दूसरी तरफ़ कुछ लोग भारत की अखंड विरासत एवं संस्कृति ‘सनातन’ को ही मिटाने की बात कर रहे हैं। पूरे विश्व में सिर्फ़ सनातन ही वो सभ्यता है जो अब तक जीवित है बाक़ी सभी पुरातन सभ्यताएँ तो धरातल के गर्भ में कबकि समा चुकीं हैं। अनंत काल से इस सभ्यता को बाहरी एवं भीतरी चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। आज भी वही चुनौतियाँ ज़िंदा है, एक तरफ़ जहां हमारे पड़ोसी मुल्क इस देश के टुकड़े होते देखने का सपना बुनते हैं वहीं श्री स्टालिन उनके पुत्र श्री उदयगिरि उनके मंत्री श्री ए॰ राजा द्वारा सनातन के खात्मे के लिए दिए बयान कुछ ऐसी ही चिंताजनक बातें हैं।  जो लोग सनातन को जानते ही नहीं वे ही ऐसी बचकानी बातें कर सकते हैं, यह उतना ही हास्यास्पद है जैसे विज्ञान को ना जानने वाला व्यक्ति नैनो तकनीक और नैनो कार का भेद नहीं समझ पता। जबसे यह बयान आया है तब से देश को प्यार करने वाले हर व्यक्ति ने अपनी नाराज़गी मुखर स्वर में दर्ज करवाई है।  पंत एवं सम्प्रदाय विशेष को जानने के लिए उसके ...

चंद्रयान तृतीय

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देश का गौरव ,  देश का मान  –  चन्द्रयान   -      जगदीप सिंह मोर ,  शिक्षाविद      इतिहास गवाह है कि चाँद को अपनी ख़ूबसूरती पर हमेशा से ही गुमान रहा है। चाँद को पाने की चाह सभी ने की किंतु इसे पाना सब के नसीब में नहीं। दुनिया के हर महान देश ने चाँद तक पहुँचने की अनेकों पुरज़ोर कोशिश करीं पर सफलता बहुत कम देशों को ही प्राप्त हुईं। भारत उन चुनिंदा देशों में से है जिसने अपनी पहली ही कोशिश में चाँद को पा लिया।    2008   में चंद्रयान-प्रथम की प्रचंड सफलता ने भारत को अंतरिक्ष अनुसंधान के पटल पर विश्व के अग्रणी देशों की श्रेणी में ला खड़ा किया। चन्द्रयान-प्रथम ने अपने कम बजट के लिए खूब सुर्खियां बटोरी। ऑटो से भी कम किराए में चाँद तक का सफ़र करने वाला यह अपने आप में इकलौता हरफ़नमौला बना। यद्यपि यह अपने निर्धारित कार्यकाल से पूर्व ही ब्लैक आउट हो गया पर अपनी कम उम्र में भी करामाती बन गया। नासा जैसी विश्व विख्यात संस्था ने भी चन्द्रयान-प्रथम का लोहा माना एवं अंतरिक्ष मानचित्र पर इसरो का परचम बुलंद किया।   2019   म...

तेरे नाम का टैटू भी मिटाना है

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तेरे नाम का टैटू भी मिटाना है   पंजाब के फाजिल्का के एक छोटे से कस्बे में जन्मे सूरज और सोनिका को भाग्य ने मिलवाया भी और अलग भी किया। सूरज के पिता अपने इलाके के एक जाने माने उच्च कुल में जन्मे व्यापारी थे, रातिब (पशुधन चारा) की दुकान से शुरू कर एक फैक्ट्री के मालिक तक का सफ़र उन्होंने जल्द ही पूरा किया। प्रतिस्पर्धा में सबको पीछे छोड़ कामयाबी के शिखर तक पहुँचे। इकलौते बेटे सूरज ने कभी अभाव नहीं देखा। परंतु पंजाब की पृष्ठभूमि ही कुछ ऐसी है यहाँ बैंक लोन से ज़्यादा आपसी उधार एवं ब्याज पर पैसे का लेन देन चलता है, जल्दी ही सूरज के पापा भी इसी झमेले में उलझ गए और फ़ैक्टरी की कुर्की की नौबत आ गयी। दिन बिगड़े और पिता जी के देहावसान के पश्चात सूरज और उसकी माँ को सब कुछ बेच कर शहर ही छोड़ना पड़ा।  वहीं सोनिका के पिता एक मध्यमवर्गीय कर्मी थे, जाती व्यवस्था को तोड़ अपनी बेटियों को पढ़ाया और मेहनत कर उन को स्वावलंबी बनाया। स्कूली पढ़ाई पूरी कर सोनिका ने बैंक का इम्तिहान पास कर सरकारी नौकरी प्राप्त की और जल्द ही पदोन्नति भी पाई। सोनिका स्वभाव से ही चंचल और मोहक मुस्कान की धन...

गुरु जी हुए ट्रोलिंग का शिकार

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गुरुजी हुए ट्रोलिंग का शिकार   आज के इस आधुनिक युग में सोशल मीडिया का बड़ा बोलबाला है। सोशल मीडिया की ताकत बेमिसाल है। यह किसी भी व्यक्ति को रातों रात सितारा बना सकती है या फिर चंद मिनटों में मिटा भी सकती है। आज कल सोशल मीडिया का उपयोग लोग किसी भी प्रतिष्ठित व्यक्ति को बदनाम करने के लिए ज़्यादा कर रहे हैं। ख़ासकर ट्विटर का उपयोग लोग प्रसिद्ध व्यक्तियों को ट्रोल करने के लिए कर रहे हैं। हद तो तब हो गई जब इन ट्रोल्स ने शिक्षकों को भी नहीं बक्शा। हाल ही में इन नफ़रती तत्वों ने इस दौर के महान शिक्षक श्री विकास दिव्यकीर्ति को अपनी नफ़रती ट्रोलिंग का शिकार बनाया। श्री दिव्यकीर्ति संघ लोक सेवा आयोग द्वारा ली जाने वाली भारतीय प्रशासनिक सेवा की परीक्षा के लिए कोचिंग प्रदान करते हैं। वे क्लास रूम कोचिंग एवं ऑनलाइन कोचिंग दोनों माध्यम से छात्रों को पढ़ाते हैं, इसलिए उनके अनेकों विडीओ लेक्चर यूटूब इत्यादि पर उपलब्ध हैं। ऐसे ही एक विडीओ जो कि साल २०१८-१९ का है, को काट-छाँट कर सोशल मीडिया पर अपलोड किया गया और उनको खूब ट्रोल किया गया। वे अपने एक लेक्चर में हिंदी साहित्य की परीक्षा के लिए मध्यकालीन...

NEP 2020 via National Curriculum Framework

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  NEP 2020 via National Curriculum Framework The Government of India has launched its National Curriculum Framework for Foundational Stage (NCF-FS) recently for 3 to 8 years age students in continuation to the National Education Policy 2020.  This will prepare students to meet the requirements of 21 st -century needs. The NEP is the goal and NCFs are the tools by which this goal can be achieved. Both are like the entwining twins without one the other is dormant. The NEP 2020 set down the curricular and pedagogical structure as 5+3+3+4 for school education. This NCF-FS is the first step towards achieving the NEP goals.     The NCF-FS focuses on early childhood care and education in the foundational classes in order to prepare the future of India. The NCF tries to bring the old Indian system of education and principles back in conjunction with modern practices. This NCF spotlights the indigenous traditional models like   Panchakosha Vikas ...

तर्पण - दादा जी से मिली समाज कल्याण की प्रेरणा

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मेरे दादा जी स्व.चौधरी मनफूल सिंह मोर इस छेत्र के एक जाने-माने वकील थे। दादा जी ने दिल्ली के प्रतिष्ठित सेंट स्टीफ़न कॉलेज से पढ़ाई की। वे एक सच्चे कर्म योगी व गांधीवादी थे, उन्होंने अपना पूरा जीवन आर्यसमाज के नियमों एवं आदर्शों पर ही जिया । दादा जी ने समाज कल्याण को सदैव प्राथमिकता दी, एवं हमें भी ऐसा ही बनने को प्रेरित किया | अदालत में उन्होंने अनेकों केस बिना शुल्क के लड़े एवं जनमानस को न्याय दिलाया। लोग आज भी उनको याद करते हैं एवं उनकी कमाई हुई प्रतिष्ठा की वजह से ही समाज हमारे परिवार को इज़्ज़त की नज़र से देखता है। अपने संघर्षों को याद कर वे हमेशा हमसे कहते, "सिर्फ पढ़ाई के द्वारा ही तुम वो सब पा सकते हो जिसकी तुम कल्पना करते हो, कोई और रास्ता नहीं है"। उन्होंने शिक्षा के महत्व को हमेशा सराहा | जीवन के आखिरी क्षण तक वे अनुशासन का पालन करते रहे | उनके द्वारा दिया गया ज्ञान हमेशा हमारा मार्गदर्शन करता रहता है। हमारी सफलता का पूर्ण श्रेय दादा जी के बताए जीवन दर्शन की ही देन है। हमें आज भी लगता है कि दादा जी हमारे ऊपर अपना आशीर्वाद बनाये हुए हैं। - जगदीप सिंह मोर, शिक्षाविद...

सब शिवमय है

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सब शिवमय है॰॰॰   आज के परिपेक्ष में जहां चहुओर सनातन संस्कृति पर ओछी फब्तियां कसी जा रही हो ,  सावन का महीना इस संस्कृति को जानने का बेहतरीन ज़रिया बन सकता है। पशु बुद्धि ,  जड़बुद्धि ,  अल्पबुद्धि एवं जागृत बुद्धि सभी अपनी पात्रता अनुसार शिव को जान सकते हैं। किसी को शिवलिंग में लिंग नज़र आता है तो किसी को समस्त सृष्टि का सृजन ,  यह बिल्कुल वैसा ही है जैसे मनुष्य अनंत सागर में गोता लगाए तो कोई नमक की डली ले कर बाहर निकले और कोई बेशकीमती स्फटिक मणि। सागर के अंदर सब कुछ छुपा है ,  अपनी दक्षता अनुसार विभिन्न प्राणी इसका दोहन करते हैं। श्रावण मास वर्ष का सबसे पवित्र महीना माना जाता है। संतजन कहते हैं की सावन महीना और भोलेनाथ का संगम उसी तरह है जैसे जल में तरलता ,  अग्नि में दाहकता ,  सूर्य में ताप ,  चंद्रमा में शीतलता ,  पुष्प में गंध एवं दुग्ध में घृत। श्रावण मास में समस्त जगत शिवमय हो जाता है ,  शिव ही परम सत्य हैं ,  शिव ही अदियोगी हैं एवं शिव ही महादेव हैं।             ...