ऑपरेशन सिंदूर : कितनी शक्ति, कितनी दुर्बलता / (Analysis of our Strength and Weakness)


 

ऑपरेशन सिंदूर : कितनी शक्ति, कितनी दुर्बलता 

पहलगाँव नरसंहार आजाद भारत में हुए आतंकवादी हमलों में सबसे बर्बर माना जाएगा, तत्पश्चात भारत सरकार ने इसका बदला लेने के लिए ऑपरेशन सिंदूर लागू किया। भारत ने पाकिस्तान में पल रहे आतंकवादियों के ठिकानों को निशाना बनाया।क्यूँकि पाकिस्तानी सरकार एवं सैन्य बल, आतंकवाद का पालन-पोषण करते हैं इसलिए जल्द ही वहाँ की सेना ने भारत के खिलाफ जवाबी कार्यवाही शुरू कर दी। इसका भारत ने मुंहतोड़ जवाब दिया और दुश्मन के मंसूबों पर पानी फेर दिया।  

ऑपरेशन सिंदूर अपने अंदर अनेकों राज छुपाए बैठा है, जो समय अनुसार बाहर आएँगे। परंतु आज हमें यह देखना चाहिए कि इस पर हमारी क्या ताकत रही एवं कहाँ कमज़ोरियाँ नज़र आयी। 

 1) नाम ऑपरेशन सिंदूर : ताकत : उन महिलाओं के प्रति समर्पित जिनका सुहाग उनकी आँखों के सामने उजड़ गया। भारतीय परिपेक्ष में सिंदूर की शक्ति को दर्शाना।   

कमजोरी : इसके नाम पर ही कुछ लोगों ने रोष प्रकट किया। इसको सिर्फ़ हिंदू धर्म से जोड़ कर देखा गया।ऑपरेशन सिंदूर लॉंच कर दिया गया, परंतु इसके नाम पर सरकार/सेना द्वारा कोई स्पष्टीकरण नहीं आया।  

 2) सेना द्वारा प्रेस कॉन्फ्रें : ताकत : भारतीय सेना में नारी सशक्तिकरण का अद्वितीय उदाहरण पेश हुआ जब कर्नल सोफिया कुरैशी एवं विंग कमांडर वयोमिका सिंह ने पहली पत्रकार वार्ता को सम्बोधित किया। सिंदूर एवं नारी सम्मान को बल मिला। समूचे विश्व ने हमारी शक्ति को पहचाना।  

कमजोरी : पहली पत्रकार वार्ता के बाद जितनी भी पत्रकार वार्ता हुई, वे बेहद नीरस रही। सेना ने पत्रकारों के सवालों के स्पष्ट उत्तर नहीं दिए, तकनीकी शब्दजाल का भरपूर प्रयोग किया एवं आम जनमानस को असमंजस में रहने दिया। सेना के जवानों के चेहरे भाव रहित रहे, उन्होंने सिर्फ़ पहले से लिखे हुए प्रेस ब्रीफ को पढ़ा। संवाद एक तरफा रहा।  

 3) टेलीविजन समाचार की रोचक दुनिया : ताकत : इस संकट की घड़ी में टी॰वी॰ समाचारों ने जनमानस को बांधे रखा, लोगों को पल-पल की खबर से रूबरू किया एवं खबरों का विश्लेषण किया।  

कमजोरी : टी॰वी॰ न्यूज़ कम रही बल्कि कार्टून मूवी ज़्यादा बनी रही। टी॰वी॰ एंकर भूल गए की उनकी नैतिक जिम्मेदारी क्या हैं, वे खुद कार्टून कैरेक्टर बने नज़र आए। एक एंकर ने तो इतना चिल्लाया की उसकी गले की नस ही फट गयी। लगभग सभी न्यूज़ चैनल ने झूठ का पिटारा ही खोल दिया। कुछ न्यूज़ चैनल तो पाकिस्तान में घुसने का दावा पेश करते नज़र आए, किसी ने इस्लामाबाद पर कब्जा करवा दिया।टी॰आर॰पी॰ के खेल में बिना तथ्यों के ग़लत विडीओ के सहारे जनता को भ्रामक खबरें परोस दी गयी।कुछ न्यूज़ ऐंकर ने बाद में माफ़ी भी माँगी। यहाँ सरकार की भूमिका भी संशय के दायरे में आयी, सरकार ने ऑपरेशन के तीन दिनों में पूर्ण चुप्पी साध ली एवं पूरे देश को भ्रामक टी॰वी॰ समाचार के हवाले छोड़ दिया।  

 4) ऑपरेशन में हमले की सूचना : ताकत :  भारत ने पाकिस्तान में कहाँ-कहाँ हमला किया इसकी पूरी जानकारी सेना द्वारा पत्रकार-वार्ता के माध्यम से जनता को दी। इसकी तस्वीरें भी उपलब्ध करायी ताकि सबूत माँगने वाले गैंग को शांत किया जा सके।  

कमजोरी : ड्रोन एवं मिसाइल द्वारा पाकिस्तान ने भारत में कहाँ क्या क्षति पहुँचाई है इसका कोई खुलासा नहीं किया गया। क्या भारत ने अपने राफेल विमान खोए हैं इसपर आज तक कोई स्पष्टीकरण नहीं आया है। सेना ने इस पर चुप्पी साधे रखी है। भारत के रक्षा उपकरणों को कितना नुकसान हुआ है इसका कोई भी आकलन जनता के समक्ष नहीं रखा गया है। ऐसी सारी खबरों को ग़ायब कर दिया गया है।क्या भारत ने पाकिस्तान की नुक्लेअर फ़सिलिटीज़ को क्षति पहुँचाई है, इसपर भी सेना ने अपना पल्ला झाड़ लिया है। सेना द्वारा प्रेस ब्रिफिंग में यह कहना की ‘बाक़ी मैं आपके विवेक पर छोड़ता हूँ’ सवालों को ज्यूँ का त्यूं बनाए रखता है।  

 5) सोशल मीडिया का तिलिस्म : ताकत : इस युद्ध में यह स्पष्ट हो गया की असली खबर ना तो टी॰वी॰ से मिलेगी और ना ही अखबारों से। सही खबर मिलेगी सोशल मीडिया पर, ऐक्स (भूतपूर्व ट्विटर) जैसी सोशल मीडिया ऐप बहुत कारगर साबित हुई, यहाँ दोनो मुल्कों के लोगों ने रियल टाइम विडीओ पोस्ट किए एवं घटना की सटीक खबर लोगों तक पहुँची। इन्हीं सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों को पता चला की पाकिस्तान में बमबारी के उपरांत क्या हलचल रही एवं कितनी क्षति पहुँची। आतंकियों के जनाजे में पाकिस्तानी सेना का शामिल होना, जिसकी तस्वीर हमने पूरी दुनिया को दिखाई, इसी सोशल मीडिया के माध्यम से प्राप्त हुई। पाकिस्तान ने भी भारतीय नुकसान की समीक्षा सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से ही करी।  

कमजोरी : सोशल मीडिया पर पोस्ट की गई फोटो एवं वीडियो की प्रमाणिकता जानना बेहद अहम बात है, ऐसी अनेकों फ़ोटो एवं विडीओ पोस्ट किए गए जो भूतकाल में घटित विश्व की घटनाओं पर आधारित थे, जिनको इस युद्ध का बता भ्रांतियां फैलाई गयी। इन्हीं पोस्ट को फिर टी॰वी॰ वालों ने अपने चैनल पर दिखाया और खूब दुष्प्रचार हुआ। सोशल मीडिया पर हर आदमी तुर्रम खान बन बैठा और जो मन में आया, अनाब-शनाब लिखा और खुद को विश्लेषक बताने लगा।एक बार तो ऐसा प्रतीत हुआ जैसे विश्व में सबसे ज़्यादा युद्ध विश्लेषक भारत में ही हों। आम जनमानस  सोशल मीडिया के जरिए गलतफहमियों का ही शिकार हुआ। 

 6) पर्सेप्शन वॉर-फेयर (धारणा युद्धताकत : इक्कीसवीं सदी में युद्ध सिर्फ़ हथियारों से नहीं लड़े जाते, आज मनोवैज्ञानिक युद्ध भी युद्ध नीति का अहम अंग है। ऐसा ही कुछ ऑपरेशन सिंदूर में भी देखने को मिला। भारत ने टी॰वी॰ एवं सोशल मीडिया के जरिए धारणा युद्ध को लड़ा।हमारे रेटायअर्ड सैनिकों ने टी॰वी॰ एवं यूटूब के ज़रिए पाकिस्तान पर दबाव बनाया।  

कमजोरी : यह कहने में कोई संकोच नहीं है की पर्सेप्शन वॉर-फेयर में पाकिस्तान हमसे ऊपर नजर आया।इस भ्रामक जाल में हम उनसे पिछड़ गए। खूब पिटाई खाकर भी सीमापार से ऐसे विडीओ आए जैसे उन्होंने ये युद्ध जीत लिया हो।विश्व पटल पर भी उनके नेता एवं राजदूत भारत को सबूत ना देने का दोषी बताते रहे एवं हमारे ऊपर एक तरफा कार्यवाही करने का दोषारोपण करते रहे।पाकिस्तान ने इस बात का भी खूब ढिंढोरा पीटा की उन्होंने हमारे तीन राफेल विमान मार गिराए हैं एवं हमारी S-400 रक्षा प्रणाली को भी क्षति पहुँचाई है। भारत इसका प्रतिरोध करने में असफल रहा।  

 7) युद्ध प्रणाली : ताकत : इस युद्ध में यह बात सिद्ध हो गयी की आज के दौर में मैन-टू-मैन युद्ध नहीं लड़ा जाएगा, युद्ध लड़ा जाएगा तकनीक से। जिसके पास जितनी सशक्त तकनीक होगी वो ही विजेता होगा।कश्मीर पर एल॰ओ॰सी॰ में हुई गोलीबारी को छोड़ दिया जाए तो इस युद्ध में भारत ने एक भी वीर जवान नहीं खोया है। यह अपने आप में एक कीर्तिमान है। इस युद्ध के पश्चात हमारी सैन्य शक्ति दुनिया में नम्बर एक पर उभर कर आयी है, ऐसा कहना कोई अतिशयोक्ति नहीं होगा।हमारा आकाश मिसाइल प्रतिरोधक सिस्टम एक अभेद्य किले के रूप में साबित हुआ है।  

कमजोरी : अब भारत को अपने रक्षा क्षेत्र में और निवेश एवं अनुसंधान की ज़रूरत है। हमें पाँचवीं जेनरेशन के युद्ध विमानों की जरूरत होगी। भारत को रक्षा क्षेत्र में सम्पूर्ण रूप से आत्मनिर्भर होना होगा। ड्रोन से लड़ने के लिए हमें और सशक्त होना होगा।परमाणु हमले के लिए हमको रक्षा प्रणाली सुदृढ़ करनी होगी।आम जन मानस को युद्ध के दौरान कैसे कार्य करना है इसका भी खाका तैयार करना होगा।        

ऑपरेशन सिंदूर हम भारतीयों को बहुत कुछ सिखा कर गया है। हमें अपनी ताक़तों पर बल देना होगा, अपनी ताक़तों पर हमें गर्व है परंतु हमें अपनी कमजोरियों से अभी बहुत कुछ सीखना है एवं इनको दुरुस्त भी करना होगा।आगे भी ऐसी चुनौतियां आएँगी शायद आनी वाली चुनौतियाँ और कठिन हों। हमें समय ज़ाया किए बिना ही अगली लड़ाई के लिए अपने को तैयार करना होगा। जय हिंद। जय हिंद की सेना। 

जगदीप सिंह मोर, स्वतंत्र पत्रकार 

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