जाति न पूछो साधु की
जाति न पूछो साधु की भारतीय राजनीति की निम्नस्तरता का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि चुनाव जीतने के लिए राजनेताओं ने अब भगवान हनुमान को भी राजनीति के दलदल में उतार दिया| अभी तक तो राजनेता सिर्फ भगवान राम के सहारे चुनाव लड़ा करते थे, परन्तु अब तो उन्होंने भगवान हनुमान को भी नहीं बक्शा| इसकी शुरुवात राजस्थान विधानसभा के चुनाव से हुई जब उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ ने अलवर के मालपुरा में बी.जे.पी. उम्मीदवार के लिय अपने एक चुनावी भाषण में भगवान हनुमान को दलित, पिछड़ा एवं आदिवासी कह दिया| श्री योगी ने कहा की बजरंगबली हमारी भारतीय परंपरा में ऐसे लोक देवता हैं, जो स्वयं वनवासी हैं, निर्वासी हैं, दलित हैं एवं वंचित हैं| फिर क्या था, एक के बाद एक नेता बिल में से निकलने लगे और बयानबाजी का ताँता लग गया| हाल ही में उत्तर प्रदेश के विधायक परिषद् के नेता श्री बुक्कल नवाब ने भगवान हनुमान के मुसलमान होने का दावा ठोक दिया| उन्होंने कहा, जिस तरह मुसलमानों में नाम रखे जाते हैं जैसे रहमान, रमजान, फरमान, जीशान, कुरबान, सुलतान आदि वो करीब करीब उन्हीं पर रखे जाते ह...