सब शिवमय है
सब शिवमय है॰॰॰ आज के परिपेक्ष में जहां चहुओर सनातन संस्कृति पर ओछी फब्तियां कसी जा रही हो , सावन का महीना इस संस्कृति को जानने का बेहतरीन ज़रिया बन सकता है। पशु बुद्धि , जड़बुद्धि , अल्पबुद्धि एवं जागृत बुद्धि सभी अपनी पात्रता अनुसार शिव को जान सकते हैं। किसी को शिवलिंग में लिंग नज़र आता है तो किसी को समस्त सृष्टि का सृजन , यह बिल्कुल वैसा ही है जैसे मनुष्य अनंत सागर में गोता लगाए तो कोई नमक की डली ले कर बाहर निकले और कोई बेशकीमती स्फटिक मणि। सागर के अंदर सब कुछ छुपा है , अपनी दक्षता अनुसार विभिन्न प्राणी इसका दोहन करते हैं। श्रावण मास वर्ष का सबसे पवित्र महीना माना जाता है। संतजन कहते हैं की सावन महीना और भोलेनाथ का संगम उसी तरह है जैसे जल में तरलता , अग्नि में दाहकता , सूर्य में ताप , चंद्रमा में शीतलता , पुष्प में गंध एवं दुग्ध में घृत। श्रावण मास में समस्त जगत शिवमय हो जाता है , शिव ही परम सत्य हैं , शिव ही अदियोगी हैं एवं शिव ही महादेव हैं। ...