हे शंकराचार्य! पुनः आओ
हे शंकर! पुनः आओ आज के परिपेक्ष में हर सनातन धर्मी भारतवासी का यह कर्तव्य हो चला है की अपने व्यस्त जीवन की आपाधापी में से दो घड़ी समय एकांत का निकाले और अपने आप से एक सवाल पूछें – अगर यूक्रेन जैसी परिस्थिति कभी भारत पर आ जाए तो हम कौन से देश में भाग कर जाएंगे? हमारा कौन सा पड़ोसी देश हमें शरण देगा - पश्चिम में पाकिस्तान, उत्तर में हिमालय के उस पार चीन, पूर्व में बांग्लादेश या दक्षिण में सागर मध्य श्रीलंका? हम सनातनी किस ओर पलायन करेंगे? सवाल किसी बाहरी देश द्वारा युद्ध का नहीं है, वरन आंतरिक देश विरोधी ताकतों का भी है। पश्चिम में पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद, उत्तर में चीन का विस्तारवाद, पूर्व में बांग्लादेश का कट्टरवाद तो भारत के भीतर धर्मांतरण करती ताक़तों, वामपंथी एवं आंदोलन जीवियों का छद्म युद्ध – इन सबसे बचते बचाते कहाँ शरण लेंगे हम? ज़रा सोचो, हमारे परिवारों में से कौन पीछे रुकेगा जो इनसे लोहा लेगा और कौन शरणागत होगा? आधुनिक भारत के इतिहास में धर्मांतर...