ना ख़ुदा ही मिला ना विसाल -ए -सनम
ना ख़ुदा ही मिला ना विसाल -ए -सनम विगत एक वर्ष चर्चा में रहे तीनों कृषि कानूनों की यात्रा भी कानूनों की तरह ही दिलचस्प रही| जैसे कोरोना काल में चुपके से अध्यादेश ला इनका सृजन किया गया था, वैसे ही प्रधानमंत्री ने देश के नाम संबोधन कर इनका विसर्जन भी कर दिया | कानूनी भाषा में कहें तो यथा स्थिति बनी रहेगी, ना कोई नया नियम लागू हुआ, ना पुराने में कोई संशोधन | परंतु कृषि क़ानूनों से उत्पन्न आंदोलन के कारण देश के हालात यथा स्थिति में नहीं रहे, इस एक साल में देश ने बहुत कुछ बिगड़ते देखा और अपने लगभग सात सौ सपूतों को खोया | बच्चों के सिर से पिता का साया उठ गया तो कहीं माताओं ने अपने जिगर के टुकड़े को जाते देखा | बहनों का बलिदान भी कम नहीं रहा, अनेक बहनों ने अपनी जमीन बचाने लिए देह त्याग दिए | इस आंदोलन से पूरे भारत को बहुत कुछ सीखना चाहिए | अगर हम अब भी कुछ ना सीखे तो हमारा भविष्य में टूटना तय है | सर्वप्रथम हर भारतवासी को यह बात स्वीकार करनी होगी कि नेताओं का किसी भी नवीन नीति, कानून या कार्य निर्धारण से निजी तौर पर कुछ भी नहीं जाता, उनकी छवि जस की टस बनी रहती है, पर जनता आपस में ज...