हथीनवासियों के मन भा रहे हैं कर्नल रावत
हथीनवासियों के मन भा रहे हैं कर्नल रावत
हरियाणा की राजनीति दिन प्रतिदिन करवट बदलती जा रही है। लोकसभा चुनाव के बाद अब विधानसभा चुनाव की सरगर्मी चरम पर है। हथीन विधानसभा सीट हमेशा से ही दक्षिण हरियाणा में महत्वपूर्ण रही है। जैसे-जैसे हरियाणा के चुनावों की सरगर्मी का मौसम पास आ रहा है, वैसे-वैसे हथीन में नए नेता भी मैदान में उतर रहे हैं। आज ना सिर्फ़ हथीन परंतु पूरे दक्षिण हरियाणा क्षेत्र को एक मज़बूत नेता की ज़रूरत है, जो ना सिर्फ़ जनता के हक़ की लड़ाई लड़ सकें अपितु सम्पूर्ण क्षेत्र का मान बढ़ा उसे प्रदेश में एक नयी पहचान दिलवा सकें। यह तो स्पष्ट है कि अभी कोई भी नेता कोसों दूर तक दिखाई नहीं देता। सरकार लोक लुभावने वादे कर रही है, परंतु इतिहास साक्षी है कि दक्षिण हरियाणा की सदैव उपेक्षा ही हुई है।
हरियाणा विधानसभा चुनाव का महासमर आरम्भ ही समझो। चुनावों में अब कुछ ही महीनों का समय रह गया है। जहाँ एक ओर होडल विधान सभा सीट आरक्षित है वहीं पलवल विधान सभा सीट बड़ी एवं जटिल लड़ाई वाली है। यही कारण है कि हथीन विधान सभा सभी नेताओं को बहुत लुभा रही है। ई॰ने॰लो॰ की टिकट से जीते विधायक श्री केहरसिंह रावत भी भा॰जा॰पा॰ में शामिल हो गए हैं। प्रदेश की राजनीति में अब भा॰जा॰पा॰ के इलावा किसी भी पार्टी में दम-ख़म नज़र नहीं आ रहा है। लोकसभा की दस में से दस सीट जीत कर भा॰जा॰पा॰ एवं मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल खट्टर जी का क़द शीर्ष पर पहुँच चूका है। औसतन रोज़ ही नेता अपनी पार्टियाँ छोड़ कर भा॰जा॰पा॰ में शामिल हो रहे हैं। चुनावी बरसात में कुकरमुत्ते की तरह नए नेता भी पैदा हो रहे हैं।
ऐसे में अगर सही माईने में कोई भा॰जा॰पा॰ का नेता कहलाने का दावेदार हैं, तो वो हैं कर्नल (डॉक्टर) राजेंद्र सिंह रावत। श्री रावत ने भा॰जा॰पा॰ का दामन तब थामा था जब पार्टी का हरियाणा में कोई बड़ा जनादेश नहीं था। उन्होंने घर घर जाकर, लोगों को पार्टी से जोड़ा एवं एक विशाल जनाधार तैयार किया। कर्नल रावत ज़मीन से जुड़े एक ईमानदार नेता हैं, जिन्हें जनता के प्यार ने चुनावी दंगल में उतरने को मजबूर किया।
कर्नल रावत का जन्म हथीन हल्के के अहरवाँ गाँव में हुआ। माँ के लाड़ले रहे बड़े बेटे होने के नाते उन्होंने अपनी दोहरी ज़िम्मेवारियों को बचपन से ही बख़ूबी निभाया। पढ़ाई में अव्वल रहे राजेंद्र सिंह ने महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी रोहतक से एम॰बी॰बी॰एस॰ की पढ़ाई की, तत्पश्चात् भारतीय सेना में नौकरी पायी एवं कर्नल के पद से सेवानिवृत हुए। कर्नल रावत ने भारतीय सेना में रह देश के विभिन्न स्थानों में काम किया तथा माँ भारती की पूरे तन-मन-धन से सेवा करी। सेवानिवृति के बाद रावत गुरुग्राम में रहने लगे एवं वहीं के एक प्रतिष्ठित अस्पताल में नौकरी करने लगे। अपने खाली समय में डाक्टर राजेंद्र लोगों को निशुल्कडाक्टरी परामर्श देते एवं अपने ग्रामवासियों की सेवा में लगे रहते। उनके इसी निस्वार्थ सेवा भाव ने उनको जनमानस का दुलारा बना दिया एवं लोगों ने उनको बाध्य कर दिया कि वे राजनीति में आकर सम्पूर्ण क्षेत्र का चौतरफ़ा विकास करें। कर्नल राजेंद्र लोगों की इसी माँग की उपेक्षा ना कर पाए एवं राजनीति में उतर भा॰जा॰पा॰ का दामन थामा।
रावत ने जनमानस के विकास कार्यों को प्राथमिकता देते हुए हमेशा जनता के हक़ की लड़ाई लड़ी। कर्नल रावत के खेमे के लोग कहते हैं कि डॉक्टर साहब कभी भी जातीय राजनीति नहीं करते, वे हमेशा ही छत्तीस बिरादरियों को साथ ले कर चलते हैं, एवं हथीन जैसे विधानसभा क्षेत्र जिसमें हिंदू एवं मुस्लिम दोनो धर्मों के मतदाता हैं, डॉक्टर रावत ही एक मात्र ऐसे नेता हैं जिनकी साफ़ छवि है, एवं दोनों समुदाय के लोग इनको पसंद करते हैं। हमेशा चेहरे पर मुस्कान सजाए रावत दिनभर अपने क्षेत्र के लोगों की समस्याएँ सुनने, उनको हल करने एवं लोगों के सुख दुःख में शामिल होकर हि बिताते हैं। क्षेत्र के लोग तो यहाँ तक कहते नहीं सकुचाते कि भा॰जा॰पा॰ के फ़रीदाबाद लोकसभा सीट जीतने में कर्नल रावत का भी बड़ा योगदान है।
ऐसे में अगर कर्नल राजेंद्र रावत हथीन से विधायक बनने में सफल हुए तो यह क्षेत्र के लिए अत्यंत गर्व का विषय होगा। एक ओर जहाँ इस क्षेत्र को प्रदेश की विधानसभा में प्रतिनिधित्व मिलेगा वहीं दूसरी ओर एक साफ़ छवि का बिना दाग़दार, कर्मठ, जूझारू, पढ़ा- लिखा नेतृत्व भी प्राप्त होगा। यह पूरे पलवल जिले, फ़रीदाबाद लोकसभा क्षेत्र एवं सम्पूर्ण दक्षिण हरियाणा के लिए सकारात्मक पहल होगी।
- जगदीप सिंह मोर, शिक्षाविद
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