परीक्षा भी एक उत्सव : मोदी का मंत्र
परीक्षा भी एक उत्सव : मोदी का मंत्र
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सी॰बी॰एस॰ई॰) ने कक्षा दसवीं एवं बारहवीं की बोर्ड परीक्षा की तिथियों की घोषणा कर दी है। परीक्षा 15 फरवरी 2024 से आरम्भ हो जाएँगी। भारतवर्ष के लिए 2024 बहुत ही अहम साल है, इसी साल लोकसभा के लिए आम चुनाव भी होने हैं। यह एक महत्वपूर्ण कारण है कि सी॰बी॰एस॰ई॰ ने अपनी सारी अहम परीक्षाएं मार्च तक पूरी करने का लक्ष्य रखा है। प्रैक्टिकल परीक्षा की तिथि 1 जनवरी से 14 फरवरी 2024 तक निर्धारित की गयी है। कक्षा दसवीं के प्रैक्टिकल आंतरिक शिक्षकों द्वारा ही लिए जाएँगे एवं कक्षा बारहवीं के प्रैक्टिकल बाह्य परीक्षकों द्वारा सम्पन्न किए जाएँगे।
कक्षा दसवीं | कक्षा बारहवीं | ||
21 फरवरी | हिंदी | 19 फरवरी | हिंदी |
26 फरवरी | अंग्रेजी | 22 फरवरी | अंग्रेजी |
2 मार्च | विज्ञान | 27 फरवरी | केमिस्ट्री |
7 मार्च | सामाजिक विज्ञान | 4 मार्च | फिजिक्स |
11 मार्च | गणित | 9 मार्च | गणित |
13 मार्च | आई॰टी॰/कम्प्यूटर | 12 मार्च | फिजिकल एजुकेशन |
| 18 मार्च | अर्थशास्त्र | |
19 मार्च | बायआलॉजी | ||
22 मार्च | राजनीति विज्ञान | ||
23 मार्च | अकाउंटन्सी | ||
27 मार्च | बिज़्नेस स्टडीज़ |
यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि छात्रों के लिए बोर्ड परीक्षा की उल्टी गिनती शुरू हो गयी है। जहां प्रैक्टिकल परीक्षा के लिए मात्र 10 दिन ही बचे हैं, वहीं मुख्य परीक्षा के लिए दो महीने का समय शेष रह गया है। ज्यादातर विद्यालयों में प्री-बोर्ड परीक्षाएं 31 दिसम्बर 2023 तक समाप्त हो जाएँगी, तत्पश्चात विद्यार्थियों की सेल्फ प्रिपरेटरी लीव (स्वयं तैयारी करने हेतु अवकाश) प्रारम्भ कर दी जाएँगी। यह समय विद्यार्थियों के लिए करो या मरो वाली स्थिति सा होता है। जहां एक ओर उन पर अभिभावकों एवं शिक्षकों का दबाव होता है वहीं आज कल पीयर प्रेशर भी छात्रों पर अतिरिक्त बोझ डाल देता है। यह बात सत्य है की प्री-बोर्ड रिज़ल्ट छात्रों की साल भर के मेहनत का आइना होता है परंतु ऐसे अनेकों उदाहरण है जहां बच्चों ने इन दो महीनों में अच्छी मेहनत करी और बोर्ड रिजल्ट में एक लम्बी छलांग लगा सबको चौंका दिया।
आखिरी के इन दिनों में विद्यार्थियों को योजनाबद्ध अध्यन्न की ज़रूरत है। सभी छात्र अपना एक टाइम-टेबल अवश्य बनाये एवं पाँचों विषयों को बराबर का समय दें। रोज़ कम से कम छः से आठ घंटे ज़रूर पढ़ें। टाइम-टेबल इस प्रकार बना हो जिसमें आठ घंटे की नींद का भी पूर्ण प्रावधान हो। छात्रों को यह पूर्ण ज्ञात हो कि हर विषय में पाठ अनुसार कितने अंक का सवाल परीक्षा में पूछा जाएगा। ज़्यादा अंक वाले पाठ पहले तैयार किए जाएँ। सबसे पहले हर विषय का अंक अनुसार आधा सिलेबस अच्छे से पूरा करें, उसे याद करें, फिर बाकी का सिलेबस पूरा करें| छात्र सिर्फ मौखिक रूप से पढ़ने पर निर्भर न रहें, उसे लिख कर सुनिश्चित करें कि जो उन्होंने जो पढ़ा है वो अच्छे से तैयार भी हुआ है या नहीं? इस तरह पढ़ने से बच्चों का विषय के प्रति डर भी दूर होगा एवं उनका आत्मविश्वास भी बढ़ेगा|
ज्यादातर छात्र इन दिनों कुधारणा का शिकार हो जाते हैं, जिससे उनके ऊपर निराशा हावी होने लगती है। सभी छात्र सेल्फ डाउट में आने से बचें एवं अपने मनोबल को उच्चतम स्थान पर रखें। सिर्फ तीन मुख्य विषयों पर ही अपना सारा ध्यान केंद्रित ना करें अपितु पांचों विषयों का ख़्याल रखें। छात्र सबसे अधिक इंग्लिश (भाषा) विषय को नजरअंदाज करते हैं, उन्हें लगता है कि इंग्लिश तो आसान है आखिरी समय में देख लेंगे। इसी कारण उनकी परसेंटेज कम रह जाती है। अंग्रेजी विषय एक चौथाई अंक समेटे हुए है एवं 12वीं के बाद के लगभग सभी कोर्सेज इसी भाषा में हैं।
दसवीं एवं बारहवीं कक्षा के पेपर पैटर्न में सी.बी.एस.ई. ने कुछ बदलाव किये हैं। केस स्टडी के आधार पर प्रश्न सम्मिलित किए गए हैं, जिनको पूरा पाठ पढ़े बिना हल करना जटिल होगा। छात्र हर विषय में सी.बी.एस.ई. के ब्लू प्रिंट के अनुरूप ही तैयारी करें| विद्यार्थी सी.बी.एस.ई. द्वारा प्रकाशित सैंपल पेपर ज़रूर हल करें। यह सी.बी.एस.ई. की वेबसाइट पर मुफ्त उपलब्ध हैं। सैंपल पेपर निर्धारित समय में ही पूरा हल करनें की कोशिश करें, जिससे अपनी खामियों का अंदाजा लगाया जा सकें। सी.बी.एस.ई. की वेबसाइट पर गत वर्षों के प्रश्न पत्र भी मुफ्त उपलब्ध हैं, सभी विद्यार्थी कम से कम पिछले दस वर्षों के प्रश्न पत्र ज़रूर हल करें|
मनोवैज्ञानिक श्री विकास अत्री कहते हैं कि इस आखिरी समय पर बारीकी से की गई पढ़ाई ही मेरिट सूची में बदलाव लाती है| जहाँ कुछ बच्चे रात भर जाग-जाग कर पढ़ रहे हैं वहीं कुछ छात्र अपने ऊपर परीक्षा का दबाव भी महसूस कर रहे हैं| छात्रों के ऊपर दोस्तों, परिवार, विद्यालय एवं समाज का दबाव हमेशा रहता है जिस कारण कई बार वे घबराहट भी महसूस करने लग जाते हैं| प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने हर साल की तरह इस साल भी बच्चों से अपील करी हैं की वो इन परीक्षाओं को एक उत्सव के रूप में स्वीकार करें| जिस प्रकार हम त्यौहार मानते हैं उसी तरह परीक्षाएँ भी त्यौहार ही हैं, तो क्यूँ ना इनकी तैयारी भी धूम धाम से की जाये| छात्र परीक्षा के परिणाम की बिल्कुल भी चिंता ना करें बल्कि तैयारी में अपना शत प्रतिशत दें| ऐसे में मोबाइल फ़ोन एवं सोशल मीडिया का सम्पूर्ण त्याग रामबाण साबित हो सकता है। इन दो महीने सिर्फ़ किताबें ही विद्यार्थियों की सच्ची दोस्त साबित होंगी।
इस समय अभिभावक का उत्तरदायित्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है| अभिभावकगण बच्चों के ऊपर नकारात्मक दबाव बनाने से बचें, उनकी तुलना दूसरे बच्चों से बिल्कुल ना करें| मौसमी बदलाव से भी छात्र अपने को बचाएं, परीक्षा के दिनों में बीमार पड़ना परिणाम पर असर दिखा सकता हैं|
- जगदीप सिंह मोर, शिक्षाविद
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