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Showing posts from 2023

बेअसर होते एग्जिट पोल

  बेअसर होते एग्जिट पोल देश के चार बड़े राज्यों के चुनाव एवं उनके परिणाम बहुत कुछ सीख देने वाले हैं। ज्यादातर एग्ज़िट पोल्ज़ जनता के मूड को भांपने में विफल रहे। इस सब से राजनीतिक पंडितों को बहुत कुछ सीखने की ज़रूरत है। टी॰वी॰ पर आने वाले डिज़ाइनर पत्रकार भी सच से कोसों दूर दिखाई दिए। इस परिणाम से यह बात बिल्कुल साफ रूप से कही जा सकती है कि एग्ज़िट पोल्ज़ के पुरातन फ़ॉर्म्युला को बदलने का उचित समय आ गया है। ज्यादातर एग्ज़िट पोल्ज़ संपलिंग पद्धति एवं थर्ड पार्टी आउट्सॉर्सिंग का उपयोग करते हैं। इसमें परिणाम तभी सटीक आते हैं जब संपलिंग में सत्य डाटा जुटाया जा सके। परंतु आज के इस तकनीकी युग में सत्य डाटा जुटा पाना इतना सरल नहीं है। आज से क़रीब एक दशक पहले तक चुनावी विशेषज्ञ गाँव, कस्बे, मोहल्ले के नाम से यह बता दिया करते थे की वहाँ किसके पक्ष में वोटिंग होगी। कुछ क्षेत्र तो एक पार्टी विशेष के गढ़ के रूप में प्रसिद्ध होते थे। वहाँ से सिर्फ़ अमुख पार्टी ही जीतेगी यह पूर्वानुमान होता था। परंतु आज ऐसा नहीं है, आज का सामान्य वोटर भी स्मार्ट वोटर बन गया है। जब से हर हाथ में इंटर्नेट युक्त मोब...

सच्चिदानंद है सनातन

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        सच्चिदानंद है सनातन आजादी के इस अमृत काल में जहां भारत एक ओर चाँद की ऊँचाइयों को छू रहा है वहीं दूसरी तरफ़ कुछ लोग भारत की अखंड विरासत एवं संस्कृति ‘सनातन’ को ही मिटाने की बात कर रहे हैं। पूरे विश्व में सिर्फ़ सनातन ही वो सभ्यता है जो अब तक जीवित है बाक़ी सभी पुरातन सभ्यताएँ तो धरातल के गर्भ में कबकि समा चुकीं हैं। अनंत काल से इस सभ्यता को बाहरी एवं भीतरी चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। आज भी वही चुनौतियाँ ज़िंदा है, एक तरफ़ जहां हमारे पड़ोसी मुल्क इस देश के टुकड़े होते देखने का सपना बुनते हैं वहीं श्री स्टालिन उनके पुत्र श्री उदयगिरि उनके मंत्री श्री ए॰ राजा द्वारा सनातन के खात्मे के लिए दिए बयान कुछ ऐसी ही चिंताजनक बातें हैं।  जो लोग सनातन को जानते ही नहीं वे ही ऐसी बचकानी बातें कर सकते हैं, यह उतना ही हास्यास्पद है जैसे विज्ञान को ना जानने वाला व्यक्ति नैनो तकनीक और नैनो कार का भेद नहीं समझ पता। जबसे यह बयान आया है तब से देश को प्यार करने वाले हर व्यक्ति ने अपनी नाराज़गी मुखर स्वर में दर्ज करवाई है।  पंत एवं सम्प्रदाय विशेष को जानने के लिए उसके ...

चंद्रयान तृतीय

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देश का गौरव ,  देश का मान  –  चन्द्रयान   -      जगदीप सिंह मोर ,  शिक्षाविद      इतिहास गवाह है कि चाँद को अपनी ख़ूबसूरती पर हमेशा से ही गुमान रहा है। चाँद को पाने की चाह सभी ने की किंतु इसे पाना सब के नसीब में नहीं। दुनिया के हर महान देश ने चाँद तक पहुँचने की अनेकों पुरज़ोर कोशिश करीं पर सफलता बहुत कम देशों को ही प्राप्त हुईं। भारत उन चुनिंदा देशों में से है जिसने अपनी पहली ही कोशिश में चाँद को पा लिया।    2008   में चंद्रयान-प्रथम की प्रचंड सफलता ने भारत को अंतरिक्ष अनुसंधान के पटल पर विश्व के अग्रणी देशों की श्रेणी में ला खड़ा किया। चन्द्रयान-प्रथम ने अपने कम बजट के लिए खूब सुर्खियां बटोरी। ऑटो से भी कम किराए में चाँद तक का सफ़र करने वाला यह अपने आप में इकलौता हरफ़नमौला बना। यद्यपि यह अपने निर्धारित कार्यकाल से पूर्व ही ब्लैक आउट हो गया पर अपनी कम उम्र में भी करामाती बन गया। नासा जैसी विश्व विख्यात संस्था ने भी चन्द्रयान-प्रथम का लोहा माना एवं अंतरिक्ष मानचित्र पर इसरो का परचम बुलंद किया।   2019   म...

तेरे नाम का टैटू भी मिटाना है

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तेरे नाम का टैटू भी मिटाना है   पंजाब के फाजिल्का के एक छोटे से कस्बे में जन्मे सूरज और सोनिका को भाग्य ने मिलवाया भी और अलग भी किया। सूरज के पिता अपने इलाके के एक जाने माने उच्च कुल में जन्मे व्यापारी थे, रातिब (पशुधन चारा) की दुकान से शुरू कर एक फैक्ट्री के मालिक तक का सफ़र उन्होंने जल्द ही पूरा किया। प्रतिस्पर्धा में सबको पीछे छोड़ कामयाबी के शिखर तक पहुँचे। इकलौते बेटे सूरज ने कभी अभाव नहीं देखा। परंतु पंजाब की पृष्ठभूमि ही कुछ ऐसी है यहाँ बैंक लोन से ज़्यादा आपसी उधार एवं ब्याज पर पैसे का लेन देन चलता है, जल्दी ही सूरज के पापा भी इसी झमेले में उलझ गए और फ़ैक्टरी की कुर्की की नौबत आ गयी। दिन बिगड़े और पिता जी के देहावसान के पश्चात सूरज और उसकी माँ को सब कुछ बेच कर शहर ही छोड़ना पड़ा।  वहीं सोनिका के पिता एक मध्यमवर्गीय कर्मी थे, जाती व्यवस्था को तोड़ अपनी बेटियों को पढ़ाया और मेहनत कर उन को स्वावलंबी बनाया। स्कूली पढ़ाई पूरी कर सोनिका ने बैंक का इम्तिहान पास कर सरकारी नौकरी प्राप्त की और जल्द ही पदोन्नति भी पाई। सोनिका स्वभाव से ही चंचल और मोहक मुस्कान की धन...