कोरोना काल में शिक्षा का नया प्रारूप
कोरोना काल में शिक्षा का नया प्रारूप
वर्ष 2020 अब अपने अंत की ओर है, और यह वर्ष इतिहास में अपनी अलग पहचान रखेगा। कोरोना काल के पूर्व एवं बाद की दुनिया पूर्णतः बदल चुकी होगी। मार्च में जब लॉकडाउन लगाया गया तब यह किसी ने भी नहीं सोचा था कि समूचे साल को ही कोरोना ग्रस लेगा। अगर यह कहा जाए कि इस सर्वव्यापी महामारी ने सबसे ज़्यादा स्कूली छात्रों की पढ़ाई को प्रभावित किया तो यह कोई अतिशियोक्ति नहीं होगी। इस वर्ष की समूची स्कूली गतिविधियाँ कोरोना की भेंट चढ़ गई। जब बच्चे अपने पूरे उम्मंग में रहते थे एवं विद्यालयों में पर्व जैसा उत्तसव का माहौल हुआ करता था, वह दिन मानो इतिहास हो चलें हों।
जाने माने मनोविज्ञानिक श्री विकास अत्री बताते हैं, “आज जहाँ विद्यालय बंद पड़े हैं वहीं शिक्षा का नया दौर चुपके से दबे-पाओं आ अपनी जगह बना चुका है। यह है ऑनलाइन शिक्षा प्रणाली का युग। बीते छह महीनों में यही न्यू नॉर्मल हो चला है”। और अब अलगे सत्र से स्कूल खुल भी जाएँ परंतु यह नवीन शिक्षा पद्दती जाने वाली नहीं हैं। स्कूली शिक्षा का एक बड़ा भाग अब सदा के लिय ऑनलाइन ही हो चला है। शुरूवाती दौर में विद्यालयों, शिक्षकों, अभिवावकों एवं छात्रों को चुनौतियों का सामना करना पड़ा परंतु सभी ने इसको सहज ही स्वीकार भी लिया और अब यहीं कार्यरत शिक्षा प्रणाली बन चुकी है। आज समय की माँग देखते हुए हरियाणा सरकार द्वारा हर जिले के बाल भवन में होने वाले कार्यक्रम भी ऑनलाइन हो गए।
जिस तरह अब कोरोना की द्वितीय एवं कई जगहों पर तृतीय लहर सक्रिय हो चली है, वहाँ यह कहना बेहद मुश्किल है कि विद्यालिय शिक्षा कब तक पूर्णतः पटरी पर लौटेगी। अतः, हर अभिवावक को अब यह समझ लेना होगा कि उनके बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिय तकनीकी आवश्यकताएँ पूरी करनी होंगी। हर घर में अब एक कंप्यूटर तथा उत्तम डाटा कनेक्टिविटी होना अनिवार्य हो चुका है। स्कूली ही नहीं वरन विश्वविद्यालय शिक्षा भी अब इसी ओर अग्रसर है। भविष्य में होने वाली सभी परीक्षाएँ भी ऑनलाइन प्रारूप में ही लीं जाएँगी।
शिक्षा सत्र 2020-21 को तो पूर्ण ही समझो। नए सत्र से शिक्षा के मानक भी बदले जा चुके होंगे। महामारी कब तक चलेगी एवं इसकी दवाई आम जन मानस तक कब तक पहुँचेगी इसकी कोई निर्धारित समय सीमा नहीं है, ऐसे में स्कूली शिक्षा कब तक अपने पहले प्रारूप में आ पाएगी यह कहना बहुत मुश्किल है, तथा विवेकी व्यक्ति वही है जो समय के बदलाव को स्वीकारे ना कि उसकी आलोचना में ही समय गंवाता रहे।
हर छात्र को भी इस बदलाव को स्वीकारना होगा एवं अपनी शिक्षा पद्दती में यथा अनुचित बदलाव कर अपने को शीर्ष तक ले जाना होगा। छात्र ऑनलाइन शिक्षा को औपचारिकता ना समझें, इसमें उन्हीं का नुक़सान है। अब तक जो समय बीत गया, सो बीत गया; बाक़ी बचे हुए शिक्षा सत्र का सदुपयोग करें एवं अपने भविष्य को सुधारें। छात्र टाईम-टेबल बना अपनी पढ़ाई करें, पूरा दिन मोबाइल की स्क्रीन को ना निहारें। शीत ऋतु में बच्चे अपनी सेहत का ध्यान रखें एवं अपनी पढ़ाई जारी रखें। बोर्ड परीक्षा वाले विद्यार्थी सैम्पल पेपर ज़रूर हल करें एवं बदले हुए सिलेबस के अनुसार ही पढ़ाई करें। सी॰बी॰एस॰ई॰ ने अपने पाठ्यक्रम में कुछ कटौती भी करीं हैं, छात्र उनका अनुसंज्ञान लें एवं यथानुसार पढ़ाई करें।
- जगदीप सिंह मोर, शिक्षाविद
Comments
Post a Comment