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Showing posts from September, 2019

तर्पण - जीवन ऐसा बनाओ जो समाज कल्याण के काम आए

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जीना इसी का नाम है

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जीना इसी का नाम है    6 -  7  सितम्बर के दरमियाँ की वो रात देश में एक गमगीन माहौल सा बना गई। चन्द्रयान द्वितीय की चाँद की सतह पर असफल लैंडिंग ने पूरे देश में गम्भीर माहौल पैदा कर दिया। यह भी शायद पहली बार ही हुआ की पूरा देश आधी रात को जाग कर पूरे उत्सुकता के साथ यह एतिहासिक पल देख रहा था। अगली सुबह आए एक वीडियो  ने सारे देश को गमगीन कर दिया। जब इसरो प्रमुख़ श्री के सिवान अपनी भावुकता संभाल नहीं पाए और प्रधानमंत्री के गले लग उन्होंने अपना अश्रु बाँध तोड़ दिया।  यह कोई साधारण पल नहीं था, जिसने भी इस विडीओ को देखा वह अपने आप को रोक नहीं पाया और ख़ुद भी भावुक हो गया। चन्द्रयान प्रथम से चन्द्रयान द्वितीय तक के मिशन पर इसरो के वैज्ञानिकों ने अपनी ज़िंदगी के बहुमूल्य ग्यारह साल दिए।  3  लाख  80  हज़ार किलोमीटर के सफ़र पर निकला चन्द्रयान द्वितीय महज़ दो किलोमीटर पीछे रह कर असफलता के अंधेरों में खो गया। यह बात बताती है कि कामयाबी के लिय  99  सही क़दम उठाने के बाद भी अगर आपका आख़िरी क़दम ग़लत पड़ जाए तो आप असफ़ल ह...

नए भारत का नवीन शिक्षक

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नए भारत का नवीन शिक्षक आज सम्पूर्ण भारत शिक्षक दिवस मना रहा है । यह परम्परा  1962 से शुरू हुई, जब भारत ने अपने द्वितीय राष्ट्रपति श्री सर्वपल्ली राधाक्रिश्नन के जन्म दिवस को भारतीय शिक्षक दिवस के रूप में मनाने का प्रण लिया। तब से आज तक निरन्तर हम पूरे हर्षौल्लास से शिक्षक दिवस मना रहे हैं। विद्यालयों में तो आज का दिन उत्सव के रूप में मनाया जाता है। ‘शिक्षा’ शब्द सामने आते ही हमारे ज़हन में अपने प्रिय शिक्षक की तस्वीर बन उठती है। सिर्फ़ तस्वीर ही नहीं उस शिक्षक के साथ बिताए गए सुनहेरे पल भी दिल-ओ-दिमाग़ में ज़िंदा हो उठते हैं। युग युगांतरों से शिष्य अपने हिस्से का सुख छोड़ कर गुरु सेवा को ही अपना अग्रिम धर्म समझता था। गुरु का स्थान तो भगवान से भी ऊपर बताया गया है। यही कारण है कि शिक्षक दिवस का हमारे देश में बहुत महत्व है।     आज के इस आधुनिक युग में पुरातन हो चुकी शिक्षक की परिभाषा बदल चुकी है। इक्कीसवीं सदी का शिक्षक महज़ अध्यापक नहीं है, बल्कि वह छात्रों के लिय एक पूर्ण पैकेज बन कर उभरा है। आज वह अपने छात्रों का फ़्रेंड, मेंटॉर, काउन्सिलर एवं फ़सि...

हथीनवासियों के मन भा रहे हैं कर्नल रावत

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हथीनवासियों के मन भा रहे हैं कर्नल रावत हरियाणा की राजनीति दिन प्रतिदिन करवट बदलती जा रही है। लोकसभा चुनाव के बाद अब विधानसभा चुनाव की सरगर्मी चरम पर है। हथीन विधानसभा सीट हमेशा से ही दक्षिण हरियाणा में महत्वपूर्ण रही है। जैसे-जैसे हरियाणा के चुनावों की सरगर्मी का मौसम पास आ रहा है, वैसे-वैसे हथीन में नए नेता भी मैदान में उतर रहे हैं। आज ना सिर्फ़ हथीन परंतु पूरे दक्षिण हरियाणा क्षेत्र को एक मज़बूत नेता की ज़रूरत है, जो ना सिर्फ़ जनता के हक़ की लड़ाई लड़ सकें अपितु सम्पूर्ण क्षेत्र का मान बढ़ा उसे प्रदेश में एक नयी पहचान दिलवा सकें। यह तो स्पष्ट है कि अभी कोई भी नेता कोसों दूर तक दिखाई नहीं देता। सरकार लोक लुभावने वादे कर रही है, परंतु इतिहास साक्षी है कि दक्षिण हरियाणा की सदैव उपेक्षा ही हुई है। हरियाणा विधानसभा चुनाव   का  महासमर आरम्भ ही समझो। चुनावों में अब कुछ ही महीनों का समय रह गया है। जहाँ एक ओर होडल विधान सभा सीट आरक्षित है वहीं पलवल विधान सभा सीट बड़ी एवं जटिल लड़ाई वाली है। यही कारण है कि हथीन विधान सभा सभी नेताओं को बहुत लुभा रही है। ई॰ने॰लो॰ की टिकट...