नए भारत का नवीन शिक्षक आज सम्पूर्ण भारत शिक्षक दिवस मना रहा है । यह परम्परा 1962 से शुरू हुई, जब भारत ने अपने द्वितीय राष्ट्रपति श्री सर्वपल्ली राधाक्रिश्नन के जन्म दिवस को भारतीय शिक्षक दिवस के रूप में मनाने का प्रण लिया। तब से आज तक निरन्तर हम पूरे हर्षौल्लास से शिक्षक दिवस मना रहे हैं। विद्यालयों में तो आज का दिन उत्सव के रूप में मनाया जाता है। ‘शिक्षा’ शब्द सामने आते ही हमारे ज़हन में अपने प्रिय शिक्षक की तस्वीर बन उठती है। सिर्फ़ तस्वीर ही नहीं उस शिक्षक के साथ बिताए गए सुनहेरे पल भी दिल-ओ-दिमाग़ में ज़िंदा हो उठते हैं। युग युगांतरों से शिष्य अपने हिस्से का सुख छोड़ कर गुरु सेवा को ही अपना अग्रिम धर्म समझता था। गुरु का स्थान तो भगवान से भी ऊपर बताया गया है। यही कारण है कि शिक्षक दिवस का हमारे देश में बहुत महत्व है। आज के इस आधुनिक युग में पुरातन हो चुकी शिक्षक की परिभाषा बदल चुकी है। इक्कीसवीं सदी का शिक्षक महज़ अध्यापक नहीं है, बल्कि वह छात्रों के लिय एक पूर्ण पैकेज बन कर उभरा है। आज वह अपने छात्रों का फ़्रेंड, मेंटॉर, काउन्सिलर एवं फ़सि...