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प्रेम की पराकाष्ठा (कविता)

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मेरी एक रचना ।

नवीन सोच के साथ नवीन शिक्षा नीति

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नवीन सोच के साथ नवीन शिक्षा नीति इतिहास के गुलिस्तां में भारत हमेशा एक स्वर्णिम पुष्प रहा है | विश्व पटल पर हमने मानवता के नए आयाम सबसे पहले प्राप्त किये | प्राचीन काल से ही हम विश्वगुरु रहे | भारतीय गुरुओं ने पूरे संसार को अपने ज्ञान सागर में नहलाया | सिर्फ मन-मस्तिष्क को ही नहीं वरन गुरु ज्ञान ने आत्मा को भी प्रफुल्लित किया है | राजतंत्र व लोकतंत्र दोनों ही के जनक हम रहे | जब ज्यादातर संसार क्रूरता के अभिशाप से ग्रसित था तब हमने विश्वविद्यालय बना लिए थे तथा अनेकों-अनेक बुद्दीजीवी इस पवन ज्ञान सागर में श्वेत हुए जा रहे थे | तक्षिला, नालंदा, विक्रमशिला, पुष्पगिरी जैसे महान शिक्षा संसथान भारत के कालजेई मस्तक का चाँद बन गौरव बढ़ा रहे थे | हम विज्ञान, अर्थ, गणित, खगोल्शास्त्र, ज्योतिषशास्त्र, जीवशास्त्र एवं अध्यात्म के अजेय सेनानी थे | प्राचीन भारतीय शिक्षा एक ऐसा प्रतिरूप थी, जिसने पूरे समाज को प्रबुद्द किया | गुरुकुल परंपरा से ले कर सांख्य दर्शन तक हम सबसे अग्रसर रहे | हमारी शिक्षा किसी मिथक पर नहीं बल्कि तर्क आधारित रही, तर्कसंगत छात्र ही आगे चलकर न्यायसंगत राजा बने | स...