मोदी की अमेरिका यात्रा एवं भारत – संयुक्त राष्ट्र अमेरिका संबंध


भारतीय प्रधान-मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की यु.एस.ए. यात्रा इन दिनों बहुत सुर्खियाँ बटोरे हुए हैं | ट्रम्प-मोदी मीटिंग ना सिर्फ दोनों देशों के लिए महत्वपूर्ण रही बल्कि पूरी दुनिया की इस पर नज़र थी | इस यात्रा को समझने से पहले आओ एक नज़र डाले दोनों देशों के राजनितिक इतिहास पर | भारत और अमेरिका के संबंध सन 1959 तक ठीक ठाक रहे | राष्ट्रपति एइसेन्होवेर भारत आने वाले पहले अमेरिकी महामहिम बने | उस दौरान भारत-रूस घनिष्ट मित्र हुआ करते थे | इसी कारण अमेरिका, पाकिस्तान हितेषी बना रहा | 1954 में अमेरिका ने पाकिस्तान को ‘सेंटो - सन्धि’ के तहेत मित्र-राष्ट्र बना लिया था | 1961 में नेहरु जी की अगवाही में भारत ने गुट-निरपेक्षता दल स्थापित किया | गौतलब है कि चीन के बढ़ते कद को कभी भी अमेरिका पचा नहीं पाया | 1962 भारत-चीन युद्ध में अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन अफ़. कैनेडी ने भारत का समर्थन किया था | लेकिन नेहरु जी के बाद भारत-अमेरिका संबंध कुछ खास अच्छे नहीं रहे | 1971 भारत पाकिस्तान युद्ध में अमरीकी राष्ट्रपति निक्सन ने पाकिस्तान का ही पक्ष लिया था | कुछ इतिहासकार श्रीमती इंदिरा गाँधी की उस समय की अमेरिका यात्रा पर भी प्रश्नचिन्ह लगाते हैं | तत्पश्चात दोनों देशों के रिश्ते कुछ खास नहीं रहे | हमारे अमेरिका के साथ संबंध सन 1991 के बाद कुछ सुधरने शुरू हुए, लेकिन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में हुए परमाणु परिक्षण के कारण अमरीकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने भारत पर अनेकों पर्तिबंध लगा दिए तथा सुधारते संबंधों की नाज़ुक डोर फिर टूट गई |

वर्त्तमान घनिष्टता का श्रेय जाता है राष्ट्रपति जॉर्ज डब्लू. बुश को | पिछले प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह एवं राष्ट्रपति बुश ने भारत अमेरिका के रिश्तों को नई उडान प्रदान की व दोनों देशों ने नए आयाम हासिल किये, जिसके बाद दोनों देशों ने पीछे मुड कर नहीं देखा | अमेरिका के पिछले राष्ट्रपति ओबामा ने इस मित्रता को सिर्फ कायम हि नहीं रखा वरन नई ऊचाई प्रदान की | ओबामा भारत के गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि के रूप में आने वाले पहले अमेरिकी राष्ट्रपति बने | वर्त्तमान राष्ट्रपति डोनोल्ड ट्रम्प ने तो अपने चुनावी प्रचार के समय से ही ये जाहिर कर दिया था की वो भारत को एक सच्चे दोस्त के रूप में देखते हैं एवं ‘अबकी बार मोदी सरकार’ जैसे चुनावी नारों को भी अपना लिया था | ‘अबकी बार ट्रम्प सरकार’ के नारे ने अख़बारों में खूब सुर्खियाँ बटोरी |

अगर आज की बात करी जाये तो भारत अमेरिका के संबंध सिर्फ राजनितिक नहीं हैं बल्कि सांस्कृतिक, शैक्षिक, कुटनीतिक, सैन्य एवं आर्थिक पहलुओं पर भी मजबूत हैं | मोदी की वर्तमान यात्रा ने दोनों देशों को विश्व पटल पर साथ खड़ा कर दिया है | राष्ट्रपति ट्रम्प ने तो न सिर्फ भारत को अपना ‘सच्चा दोस्त’ कहा अपितु मोदी की शान में जमकर कसीदे पढ़े | यह देख दुनिया हैरान रह गई क्यूँकि यह ट्रम्प की छवि के विपरीत है | यह यात्रा दोनों देशों के लिए जीत का प्रतीक है, जहाँ एक ओर भारत अमेरिका को रोज़गार के साधन मोहिया करवा रहा है वहीँ दूसरी ओर अमेरिका भारत को फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट, सैन्य एवं तकनिकी मदद दे रहा है | प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिका में सभी बड़ी कम्पनियों के सी.ई.ओ. से मुलाकात की जिससे ‘मेक इन इंडिया’ कैम्पेन को बढ़ावा मिलेगा | इस मीटिंग में गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, अमेज़न, एप्पल जैसी नामी-गिरामी कंपनियों के मुखिया शामिल हुए |

भारत के सन्दर्भ में देखा जाये तो इस यात्रा की सबसे बड़ी खूबी रही, भारत-अमेरिका का साझा-बयान जिसमे दोनों देशों ने आतंकवाद के खिलाफ मिलकर लड़ाई की घोषणा करी एवं पाकिस्तान को खरी-खरी सुनाई | अमेरिका भारत को 22 ड्रोन भी बेचेगा | दोनों देश हिन्द-महासागर में साझा सैन्य अभियास भी करेंगे जिससे भारत को चीन के बढ़ते समुंद्री वर्चस्व के ऊपर कुटनीतिक बढ़त मिलेगी | अमेरिका भारत को नेचुरल गैस भी निर्यात करेगा |

राष्ट्रपति ट्रम्प की बेटी इवंका इस साल के अंत में भारत आएगी | वे ग्लोबल एन्तेर्प्रेंयूर्शिप समिट में मुखिया के रूप में अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल का सञ्चालन करेंगी |  दोनों देश विश्व में नई उचाईयों को छु रहे हैं एवं भारत एक प्रमुख ताकत के रूप में उभर रहा है | इन संबंधों ने भारत के एन.एस.जी. में सथाई सदस्यता पाने के सपने को साकार करने का रास्ता दिखाया है | अंततः यह कहना कोई अतिशियोक्ति नहीं होगा की भारत एक बार फिर विश्वविधाता बनने की राह पर अग्रसर है | हम सब भारतवासियों को अपने देश के ऊपर गर्व है |

जगदीप सिंह मोर
शिक्षाविद

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