Mile Na Phool To...
मिले न फूल तो काटों से दोस्ती कर ली
मिले न फूल तो काटों से दोस्ती कर ली
इसी तरह से बसर हम ने ज़िन्दगी कर ली
मिले न फूल
अब आगे जो भी हो अंजाम देखा जाएगा
अब आगे जो भी हो अंजाम देखा जाएगा
खुदा तराश लिया और बंदगी कर ली
मिले न फूल तो काटों से दोस्ती कर ली
नज़र मिली भी न थी और उन को देख लिया
नज़र मिली भी न थी और उन को देख लिया
जुबान खुली भी न थी और बात भी कर ली
वो जिन को प्यार है चांदी से इश्क सोने से
वो ही कहेंगे कभी
वो ही कहेंगे कभी हम ने ख़ुद खुशी कर ली
मिले न फूल तो काटों से दोस्ती कर ली
इसी तरह से बसर हम ने ज़िन्दगी कर ली
मिले न फूल
Penned by Kaifi Azmi, this song from the 1968 movie Anokhi Raat goes much deeper than just being about lost love!
Rather than being sad I see this as an expression of rebellious, ‘will do no matter what’ attitude of the poet. Specially the line ‘khuda tarash liya’ which I very pitifully translate into – I sculpted my own god and I now pray to him only! Kaifi here is working on at least two levels that I can discern, the first being that man can create or man is his own god. The second level is a bit more complex/religious – Islam forbids praying to or in front of an idol and deems it a pagan practice, he thus implies I give a damn about your religion!
मिले न फूल तो काटों से दोस्ती कर ली
इसी तरह से बसर हम ने ज़िन्दगी कर ली
मिले न फूल
अब आगे जो भी हो अंजाम देखा जाएगा
अब आगे जो भी हो अंजाम देखा जाएगा
खुदा तराश लिया और बंदगी कर ली
मिले न फूल तो काटों से दोस्ती कर ली
नज़र मिली भी न थी और उन को देख लिया
नज़र मिली भी न थी और उन को देख लिया
जुबान खुली भी न थी और बात भी कर ली
वो जिन को प्यार है चांदी से इश्क सोने से
वो ही कहेंगे कभी
वो ही कहेंगे कभी हम ने ख़ुद खुशी कर ली
मिले न फूल तो काटों से दोस्ती कर ली
इसी तरह से बसर हम ने ज़िन्दगी कर ली
मिले न फूल
Penned by Kaifi Azmi, this song from the 1968 movie Anokhi Raat goes much deeper than just being about lost love!
Rather than being sad I see this as an expression of rebellious, ‘will do no matter what’ attitude of the poet. Specially the line ‘khuda tarash liya’ which I very pitifully translate into – I sculpted my own god and I now pray to him only! Kaifi here is working on at least two levels that I can discern, the first being that man can create or man is his own god. The second level is a bit more complex/religious – Islam forbids praying to or in front of an idol and deems it a pagan practice, he thus implies I give a damn about your religion!
Comments
Post a Comment