बेअसर होते एग्जिट पोल
बेअसर होते एग्जिट पोल देश के चार बड़े राज्यों के चुनाव एवं उनके परिणाम बहुत कुछ सीख देने वाले हैं। ज्यादातर एग्ज़िट पोल्ज़ जनता के मूड को भांपने में विफल रहे। इस सब से राजनीतिक पंडितों को बहुत कुछ सीखने की ज़रूरत है। टी॰वी॰ पर आने वाले डिज़ाइनर पत्रकार भी सच से कोसों दूर दिखाई दिए। इस परिणाम से यह बात बिल्कुल साफ रूप से कही जा सकती है कि एग्ज़िट पोल्ज़ के पुरातन फ़ॉर्म्युला को बदलने का उचित समय आ गया है। ज्यादातर एग्ज़िट पोल्ज़ संपलिंग पद्धति एवं थर्ड पार्टी आउट्सॉर्सिंग का उपयोग करते हैं। इसमें परिणाम तभी सटीक आते हैं जब संपलिंग में सत्य डाटा जुटाया जा सके। परंतु आज के इस तकनीकी युग में सत्य डाटा जुटा पाना इतना सरल नहीं है। आज से क़रीब एक दशक पहले तक चुनावी विशेषज्ञ गाँव, कस्बे, मोहल्ले के नाम से यह बता दिया करते थे की वहाँ किसके पक्ष में वोटिंग होगी। कुछ क्षेत्र तो एक पार्टी विशेष के गढ़ के रूप में प्रसिद्ध होते थे। वहाँ से सिर्फ़ अमुख पार्टी ही जीतेगी यह पूर्वानुमान होता था। परंतु आज ऐसा नहीं है, आज का सामान्य वोटर भी स्मार्ट वोटर बन गया है। जब से हर हाथ में इंटर्नेट युक्त मोबाइल