तेरे नाम का टैटू भी मिटाना है
तेरे नाम का टैटू भी मिटाना है पंजाब के फाजिल्का के एक छोटे से कस्बे में जन्मे सूरज और सोनिका को भाग्य ने मिलवाया भी और अलग भी किया। सूरज के पिता अपने इलाके के एक जाने माने उच्च कुल में जन्मे व्यापारी थे, रातिब (पशुधन चारा) की दुकान से शुरू कर एक फैक्ट्री के मालिक तक का सफ़र उन्होंने जल्द ही पूरा किया। प्रतिस्पर्धा में सबको पीछे छोड़ कामयाबी के शिखर तक पहुँचे। इकलौते बेटे सूरज ने कभी अभाव नहीं देखा। परंतु पंजाब की पृष्ठभूमि ही कुछ ऐसी है यहाँ बैंक लोन से ज़्यादा आपसी उधार एवं ब्याज पर पैसे का लेन देन चलता है, जल्दी ही सूरज के पापा भी इसी झमेले में उलझ गए और फ़ैक्टरी की कुर्की की नौबत आ गयी। दिन बिगड़े और पिता जी के देहावसान के पश्चात सूरज और उसकी माँ को सब कुछ बेच कर शहर ही छोड़ना पड़ा। वहीं सोनिका के पिता एक मध्यमवर्गीय कर्मी थे, जाती व्यवस्था को तोड़ अपनी बेटियों को पढ़ाया और मेहनत कर उन को स्वावलंबी बनाया। स्कूली पढ़ाई पूरी कर सोनिका ने बैंक का इम्तिहान पास कर सरकारी नौकरी प्राप्त की और जल्द ही पदोन्नति भी पाई। सोनिका स्वभाव से ही चंचल और मोहक मुस्कान की धन...