बदलते परिपेक्ष में धर्म एवं धार्मिक संस्थाओं की भूमिका
बदलते परिपेक्ष में धर्म एवं धार्मिक संस्थाओं की भूमिका पूरी दुनिया में यदि कहीं धर्म पताका सबसे पहले लहराया तो वो है भारतवर्ष | यहाँ की वैदिक संस्कृति ने दिव्यपुत्र स्वरुप सनातन धर्म को जन्म दिया | सनातन धर्म ही आगे चल कर हिन्दू धर्म के रूप में प्रचलित हुआ | बुद्धिजीवियों का तो यह मानना है कि हिन्दू धर्म, सिर्फ धर्म नहीं बल्कि जीवन जीने की शैली है | इस भूलोक में मनुष्य कैसे सफलता पूर्वक जीवन निर्वाह करे, इसी प्रारूप का ताना-बाना है हिन्दू धर्म | सनातन धर्म को दुनिया का सबसे प्राचीन धर्म कहा जाये तो इसमें कोई अतिशियोक्ति नहीं होगी | जब दुनिया की आधी से ज्यादा आबादी बर्बरता के अभिशाप से ग्रसित थी तब भारतीय ऋषि मुनि अपने ज्ञान के पवित्र सागर से प्राणियों के मन-मस्तिक्ष को पावन किये हुए थे | दुनिया में यही वो धर्म है जिसकी बुनियाद तर्क पर रखी हुई है | हमारी तर्कसंगति ने ही न्याय प्रणाली की नीवं रखी | इसी कारण हम विश्वगुरु कहलाये | आदिकाल से इस धर्म में अगणित बदलाव आये परन्तु इसका बुनियादी ढ़ाचा सुदृढ़ ही रहा | समय समय पर अनेकों विकृतियों ने भी इसे घेरा | इसी परिणाम...