बाल दिवस: बचपन की सार्थकता और उसकी रक्षा
बाल दिवस विशेषांक बाल दिवस: बचपन की सार्थकता और उसकी रक्षा भारत में 14 नवम्बर को बाल दिवस मनाया जाता है। यह दिन हमारे देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की जयंती के रूप में मनाया जाता है , जो बच्चों के प्रति अपनी विशेष स्नेहभावना के लिए प्रसिद्ध थे। उनके लिए बच्चों का विकास और उनका उत्थान राष्ट्रीय प्रगति का प्रमुख हिस्सा था। बाल दिवस का उद्देश्य बच्चों के अधिकारों , उनके कल्याण और उनकी खुशहाली के बारे में समाज को जागरूक करना है। हालांकि , आधुनिक समय में बच्चों का बचपन अनेक चुनौतियों का सामना कर रहा है। आधुनिकता के प्रभाव के कारण बचपन की हानि हो रही है। आजकल के बच्चों का जीवन बहुत बदल चुका है। जहां एक समय में बच्चों का बचपन खेल-कूद , मित्रों के साथ समय बिताने और प्राकृतिक वातावरण में घुमने-फिरने में गुजरता था , वहीं अब यह तकनीकी दुनिया और सोशल मीडिया के दबाव में फंस गया है। स्मार्टफोन , कंप्यूटर , और अन्य डिजिटल गैजेट्स ने बच्चों की दुनिया को बहुत सीमित कर दिया है। वे अब मानसिक और शारीरिक रूप से पहले से कहीं अधिक दबाव महसूस करते हैं। स्कूलों में क