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बाल दिवस: बचपन की सार्थकता और उसकी रक्षा

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  बाल दिवस विशेषांक बाल दिवस: बचपन की सार्थकता और उसकी रक्षा भारत में 14 नवम्बर को बाल दिवस मनाया जाता है। यह दिन हमारे देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की जयंती के रूप में मनाया जाता है , जो बच्चों के प्रति अपनी विशेष स्नेहभावना के लिए प्रसिद्ध थे। उनके लिए बच्चों का विकास और उनका उत्थान राष्ट्रीय प्रगति का प्रमुख हिस्सा था। बाल दिवस का उद्देश्य बच्चों के अधिकारों , उनके कल्याण और उनकी खुशहाली के बारे में समाज को जागरूक करना है। हालांकि , आधुनिक समय में बच्चों का बचपन अनेक चुनौतियों का सामना कर रहा है। आधुनिकता के प्रभाव के कारण बचपन की हानि हो रही है। आजकल के बच्चों का जीवन बहुत बदल चुका है। जहां एक समय में बच्चों का बचपन खेल-कूद , मित्रों के साथ समय बिताने और प्राकृतिक वातावरण में घुमने-फिरने में गुजरता था , वहीं अब यह तकनीकी दुनिया और सोशल मीडिया के दबाव में फंस गया है। स्मार्टफोन , कंप्यूटर , और अन्य डिजिटल गैजेट्स ने बच्चों की दुनिया को बहुत सीमित कर दिया है। वे अब मानसिक और शारीरिक रूप से पहले से कहीं अधिक दबाव महसूस करते हैं। स्कूलों में क

एन॰ आई॰ आर॰ एफ॰ रैंकिंग में फिसड्डी हरियाणा

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 एन॰ आई॰ आर॰ एफ॰ रैंकिंग में फिसड्डी हरियाणा हाल ही में नैशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क (एन॰आई॰आर॰एफ॰) द्वारा उच्च शैक्षिक संस्थानों की रैंकिंग, इंडिया रैंकिंग 2024 के नाम से प्रकाशित हुई। गौरतलब हो की एन॰आई॰आर॰एफ॰ द्वारा हर साल देश के टॉप 100 संस्थानों की सूची प्रकाशित होती है, इसमें विभिन्न कैटेगरी में देश के टॉप 100 महाविद्यालय (कॉलेज) एवं विश्वविद्यालय (यूनिवर्सिटी) शामिल होते हैं जैसे ओवरऑल, इंजीनियरिंग, मेडिकल, लॉ, मैनज्मेंट, फ़ार्मसी, शोध संस्थान, राज्य यूनिवर्सिटी इत्यादि। इन रैंकिंग में हरियाणा राज्य विगत वर्ष के अनुरूप और भी फिसड्डी साबित हुआ। हरियाणा राज्य के उच्च शैक्षिक संस्थानों जैसे महाविद्यालय एवं विश्वविद्यालयों का रैंकिंग सूची में ना होना राज्य के लिए बेहद शर्म की बात है। एन॰आई॰आर॰एफ॰ द्वारा प्रकाशित ओवरऑल कैटेगॉरी के टॉप 100 सूची में हरियाणा राज्य का एक भी संस्थान नहीं है। यह बेहद शर्म की बात है। जहां एक ओर हरियाणा राज्य दिल्ली से तीन तरफ से घिरा हुआ है, वहीं इसका लाभ लेने से राज्य बिल्कुल वंचित है। दिल्ली के अनेकों महाविद्यालय एवं विश्वविद्यालय इस रैंकिंग में

अंतरराष्ट्रीय पिता दिवस पर विशेष/International Father's Day

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  शिव तत्व है पिता आज  16  जून को समस्त विश्व, अंतर्राष्ट्रीय पिता दिवस (इंटर्नैशनल फादर्स डे) मना रहा है। यह दिवस सभी पिताओं का उनके परिवारों के प्रति समर्पण ,  लगन, मेहनत एवं बलिदान को पहचानने एवं सम्मान देने का अवसर है। आज पिता, दादा एवं पिता तुल्य हर व्यक्ति के प्रति आभार प्रकट करने का सुअवसर है।         इंटर्नैशनल फादर्स डे का इतिहास भी कुछ कम रोचक नहीं है, विश्व भर में माताओं की मनुष्य जीवन में अनुदान एवं उनकी कड़ी मेहनत को बहुत पहले ही मान्यता मिल गयी थी, इंटर्नैशनल मदर्स डे बहुत पहले ही संसार में स्वीकार्य हो चुका था। पिताओं के महत्व को दर्शाने का वर्ष  1900  तक ऐसा कोई दिन नहीं था। अमेरिका के वॉशिंटॉन शहर में रहने वाली स्पोकैन सोनोरा ने पहली बार  1910  में अपने पिता विल्यम जैक्सन स्मार्ट जो की एक भूतपूर्व सैनिक थे उनके सम्मान में इंटर्नैशनल मदर्स डे की तर्ज पर इंटर्नैशनल फादर्स डे मनाया। गौरतलब है कि विल्यम जैक्सन स्मार्ट ने अपनी पत्नी के देहांत के बाद अपनी छह संतानो का लालन पालन स्वयं किया। इस दिन को ख्याति तब प्राप्त हुई जब तब के अमेरिकी राष्ट्रपति कैल्विन कूलिज ने  1924  मे

एक परीक्षा ऐसी भी हो जिसमें बच्चे फेल हो सकें

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  एक परीक्षा ऐसी भी हो जिसमें बच्चे फेल हो सकें  नए साल की अभी शुरुआत ही हुई है कि पहले ही महीने में भारत की कोचिंग कैपिटल कहे जाने वाले कोटा शहर में दो बच्चों ने मानसिक दबाव में आकर आत्महत्या कर ली। हाल ही की इन घटनाओं ने हर भारतवासी के दिल को झकझोर कर रख दिया है। अठारह वर्षीय निहारिका सिंह सोलंकी कोटा में आई॰आई॰टी॰ जे॰ई॰ई॰ परीक्षा की तैयारी कर रही थी। परीक्षा से पहले ही उसने अपने घर के रोशनदान से फांसी लगा आत्महत्या कर ली। निहारिका का हस्तलिखित सुसाइड नोट मिला जिस पर उसने लिखा था , ” मम्मी पापा ,  मैं जे॰ई॰ई॰ नहीं कर सकती ,  इसलिए मैं आत्महत्या कर रही हूँ। मैं हार गई हूँ ,  मैं सबसे ख़राब बेटी हूँ। मुझे माफ़ कर देना मम्मी पापा। यही आखिरी विकल्प है। “  चार पंक्ति के इस छोटे से सुसाइड नोट ने पूरे शिक्षा जगत को रसातल पर लाकर खड़ा कर दिया है। यदि प्रतियोगिता की तैयारी करने वाला एक छात्र यह कहे   कि आत्महत्या ही आखिरी विकल्प है ,  तब यह समझ लेना चाहिए कि शिक्षा का यह सम्पूर्ण तंत्र भीतर से सड़ चुका है ,  और अब इसमें से दुर्गंध उठने लगी है। एक नज़र अगर विगत वर्षों में अकेले कोटा में हुई आत

Teacher: A 15-minute refresher

  Teacher: A 15-minute refresher -         Jagdeep S. More, Educationist  Teaching has been considered a noble profession since time immemorable. Of late, the incidents of Muzaffarnagar, Kathua and Kota have done enough wrong to malign this noble profession and have stirred the hornets’ nest forcing teachers to revisit the preambles of teaching-learning.    Forcing classmates to beat a child for not learning homework lessons, beating a child for writing a religious slogan on a blackboard and pressurising children to the extent of committing suicide are the greatest sins happening to this pious institution of implanting education. It’s high time teachers should unlearn their age-old definition of being a teacher where they can do anything left, right and centre with a child and relearn the new modern definition of being a teacher where she/he is a facilitator cum counsellor and is responsible for the overall development of a child not merely confined to her/his subject. Teachers should

परीक्षा भी एक उत्सव : मोदी का मंत्र

  परीक्षा   भी   एक   उत्सव   :  मोदी का मंत्र  केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सी॰बी॰एस॰ई॰) ने कक्षा दसवीं एवं बारहवीं की बोर्ड परीक्षा की तिथियों की घोषणा कर दी है। परीक्षा   15   फरवरी   2024   से आरम्भ हो जाएँगी। भारतवर्ष के लिए   2024   बहुत ही अहम साल है ,  इसी साल लोकसभा के लिए आम चुनाव भी होने हैं। यह एक महत्वपूर्ण कारण है कि सी॰बी॰एस॰ई॰ ने अपनी सारी अहम परीक्षाएं मार्च तक पूरी करने का लक्ष्य रखा है। प्रैक्टिकल परीक्षा की तिथि   1   जनवरी से   14   फरवरी  2024   तक निर्धारित की गयी है। कक्षा दसवीं के प्रैक्टिकल आंतरिक शिक्षकों द्वारा ही लिए जाएँगे एवं कक्षा बारहवीं के प्रैक्टिकल बाह्य परीक्षकों द्वारा सम्पन्न किए जाएँगे।   कक्षा दसवीं कक्षा बारहवीं 21   फरवरी   हिंदी 19   फरवरी हिंदी   26   फरवरी अंग्रेजी 22   फरवरी अंग्रेजी   2   मार्च   विज्ञान 27   फरवरी केमिस्ट्री   7   मार्च सामाजिक विज्ञान   4   मार्च फिजिक्स 11   मार्च गणित   9   मार्च गणित   13   मार्च आई॰टी॰/कम्प्यूटर   12   मार्च फिजिकल एजुकेशन     18   मार्च अर्थशास्त्र   19   मार्च बायआलॉजी 22   मार्च राजनीति विज्ञा