Posts

ऑपरेशन सिंदूर : कितनी शक्ति, कितनी दुर्बलता / (Analysis of our Strength and Weakness)

Image
  ऑपरेशन सिंदूर : कितनी शक्ति,  कितनी दुर्बलता   पहलगाँव नरसंहार आजाद भारत में  हुए आतंकवादी हमलों में सबसे  बर्बर माना जाएगा, तत्पश्चात भारत  सरकार ने इसका बदला लेने के  लिए ऑपरेशन सिंदूर लागू किया।  भारत ने पाकिस्तान में पल रहे  आतंकवादियों के ठिकानों को निशा ना बनाया।क्यूँकि पाकिस्तानी  सरकार एवं सैन्य बल, आतंकवाद का पालन-पोषण करते  हैं इसलिए जल्द ही वहाँ की सेना  ने भारत के खिलाफ जवाबी कार् यवाही शुरू कर दी। इसका भारत ने मुंहतोड़ जवाब दिया और दुश्मन  के मंसूबों पर पानी फेर दिया।    ऑपरेशन सिंदूर अपने अंदर अनेकों  राज छुपाए बैठा है, जो...

क्या व्यावहारिक हैं इतने बड़े आयोजन?

Image
  इस लेख का उद्देश्य किसी भी व्यक्ति/वर्ग की धार्मिक मान्यताओं को चुनौती देना कदापि नहीं है, वरन परिस्थितियों को प्रशासनिक एवं व्यावहारिक नजरिए से देखने हेतु है।  महाकुंभ 2025 वर्तमान कालखंड का ध्रुव तारा बना हुआ है। धरती के एक छोटे से भूखंड पर एक समय में इतने मनुष्यों का एक साथ जमावड़ा अपने आप में असाधारण है। इतने बड़े मेले का आयोजन अत्यंत चुनौतीपूर्ण है। इसकी तैयारियों में असंख्य लोगों का परिश्रम, अगणित घंटों का पुरुषार्थ शामिल है। उत्तर प्रदेश सरकार एवं मेला प्रशासन इसके लिए प्रशंसा के पात्र हैं। परंतु मौनी अमावस्या की रात्रि पर हुई भगदड़ एवं पुण्यात्माओं की क्षति ने इस महान उत्सव की शान में धब्बा लगा दिया। इसके उपरांत विभिन्न विवेचनाओं का जन्म हुआ और छींटा-कशी का दौर भी प्रारम्भ हुआ। जहां एक ओर मृतकों की संख्या को लेकर असमंजस है वहीं यह भी आरोप है कि सरकार ने क्षति का सटीक अवलोकन आमजन के समक्ष नहीं रखा है। इसी प्रक्षेप में यह दक्ष प्रश्न उठता है कि, क्या हमें इतने बड़े आयोजन करने चाहिए? क्या प्रशासनिक एवं व्यावहारिक दृष्टिकोण से ऐसे आयोजन सम्भव हैं? आइए एक नज़र महाकुंभ 2...

बचपन बचाओ क़ानून : ऑस्ट्रेलिया से सीखे भारत

Image
  अपनी संसद में यह कानून पास कर ऑस्ट्रेलिया संसार का पहला देश बना जिसने बच्चों के लिए सोशल मीडिया के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया। यह निर्णय सम्पूर्ण जगत के लिए ऐतिहासिक है। ऑस्ट्रेलिया के राजनेताओं की दूर दृष्टिता सराहनीय है जिस ने बच्चों के बचपन को बचाने के लिए ऐसा अहम कदम उठाया। इस प्रतिबंध से ना सिर्फ़ बच्चों का बचपन बचा रहेगा अपितु समाज में होने वाले अपराध भी कम होंगे एवं ऑस्ट्रेलिया अपनी संस्कृति को भी सहेज पाएगा। इस कानून के मुताबिक  16  वर्ष से कम उम्र के बच्चे सोशल मीडिया ऐप्लिकेशन पर अपना अकाउंट नहीं बना पाएँगे। इस हिसाब से फ़ेस्बुक, इन्स्टग्रैम, एक्स (भूतपूर्व ट्विटर), टिक-टॉक, स्नैपचैट, रेडइट इत्यादि बच्चों की पहुँच से बाहर हो जाएँगी। विशेष बात यह है कि इस कानून में बच्चों को नहीं बल्कि सोशल मीडिया कंपनियों को कटघरे में खड़ा करने का प्रावधान है। इन सोशल मीडिया कंपनियों को अब यह सुनिश्चित करना पड़ेगा की कोई भी  16  वर्ष से कम उम्र का बालक इन वेब्सायट पर अपना अकाउंट नहीं बना सके। अगर यह कंपनियां सुचारू रूप से ऐसा करने में विफल होती हैं तो इनको  33 ...

सूचना और मीडिया एक्सपोजर का तर्कसंगत विश्लेषण

  सूचना और मीडिया एक्सपोजर का तर्कसंगत विश्लेषण आज के डिजिटल युग में मीडिया का प्रभाव हर पहलू में महसूस होता है। चाहे वह समाचार चैनल  हो  सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म हो या फिर इंटरनेट पर वायरल होने वाली खबरें , सभी जगह हम लगातार  सूचनाओं से घिरे होते हैं। इन सूचनाओं के माध्यम से हम न केवल दुनिया की घटनाओं से अवगत  होते हैं , बल्कि ये हमारे सोचने और समझने के तरीके को भी प्रभावित करती हैं। खासकर विद्यार्थियों  के लिए , मीडिया और सूचना का सही और तर्कसंगत विश्लेषण करना अत्यंत आवश्यक है। भारतीय मीडिया का प्रभाव भारतीय मीडिया का दायरा बहुत विस्तृत है। यहाँ विभिन्न भाषाओं में समाचार चैनल , अखबार , रेडियो  और इंटरनेट आधारित प्लेटफॉर्म उपलब्ध हैं। ये सभी माध्यम समाज में हो रही घटनाओं , राजनीतिक  विचारों , सामाजिक मुद्दों , और यहां तक कि व्यक्तिगत जीवन के बारे में सूचनाएँ प्रदान करते हैं।  हालांकि , भारतीय मीडिया का एक बड़ा हिस्सा कभी-कभी पक्षपाती हो सकता है या सूचनाओं में गड़बड़ी  कर सकता है। इसलिए मीडिया का तर्कसंगत विश्लेषण करना और खबरों की सं...

बाल दिवस: बचपन की सार्थकता और उसकी रक्षा

Image
  बाल दिवस विशेषांक बाल दिवस: बचपन की सार्थकता और उसकी रक्षा भारत में 14 नवम्बर को बाल दिवस मनाया जाता है। यह दिन हमारे देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की जयंती के रूप में मनाया जाता है , जो बच्चों के प्रति अपनी विशेष स्नेहभावना के लिए प्रसिद्ध थे। उनके लिए बच्चों का विकास और उनका उत्थान राष्ट्रीय प्रगति का प्रमुख हिस्सा था। बाल दिवस का उद्देश्य बच्चों के अधिकारों , उनके कल्याण और उनकी खुशहाली के बारे में समाज को जागरूक करना है। हालांकि , आधुनिक समय में बच्चों का बचपन अनेक चुनौतियों का सामना कर रहा है। आधुनिकता के प्रभाव के कारण बचपन की हानि हो रही है। आजकल के बच्चों का जीवन बहुत बदल चुका है। जहां एक समय में बच्चों का बचपन खेल-कूद , मित्रों के साथ समय बिताने और प्राकृतिक वातावरण में घुमने-फिरने में गुजरता था , वहीं अब यह तकनीकी दुनिया और सोशल मीडिया के दबाव में फंस गया है। स्मार्टफोन , कंप्यूटर , और अन्य डिजिटल गैजेट्स ने बच्चों की दुनिया को बहुत सीमित कर दिया है। वे अब मानसिक और शारीरिक रूप से पहले से कहीं अधिक दबाव महसूस करते हैं। स्कूलों म...